loving poetry

Sunday 20 May 2012

आँधियों में और चलिए ,
लड़खड़ाते अब कहाँ तक ,
एक आवारा धुऐं से ,
उड़िए किस किस आसमान तक .


ग़म की गहरी खाइयों में ,
और बहियेगा कहाँ तक ,
हाथ में अंगार रखिये ,
और कितने इम्तिहान तक .


ढूँढने के सिलसिले दिल ,
और कितने कारवां तक ,
चल चलें अब तो सफ़र पर ,
इस जहां से उस जहां तक .

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