loving poetry

Sunday 20 May 2012

पत्थर ह्रदय जगत है प्यारे
तू जग को नवनीत बना
..........धर्म जाति के बंधन टूटे
..........ऐसी कोई रीत बना
प्रेम प्रीत सिखलाये जो
ऐसा कोई गीत बना

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