अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ
तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नगमा छेड़ूँ
या तेरे दर्द की जुदाई का गिला पेश करूँ
मेरे ख्वाबों में भी तू मेरे ख्यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझसे जुदा पेश करूँ
जो तेरे दिल को लुभा ले वो अदा मुझमे नहीं
क्यों न तुझको कोई तेरी ही अदा पेश करूँ
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ
तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नगमा छेड़ूँ
या तेरे दर्द की जुदाई का गिला पेश करूँ
मेरे ख्वाबों में भी तू मेरे ख्यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझसे जुदा पेश करूँ
जो तेरे दिल को लुभा ले वो अदा मुझमे नहीं
क्यों न तुझको कोई तेरी ही अदा पेश करूँ
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