loving poetry

Sunday 20 May 2012

अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ

तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नगमा छेड़ूँ
या तेरे दर्द की जुदाई का गिला पेश करूँ

मेरे ख्वाबों में भी तू मेरे ख्यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझसे जुदा पेश करूँ

जो तेरे दिल को लुभा ले वो अदा मुझमे नहीं
क्यों न तुझको कोई तेरी ही अदा पेश करूँ

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