loving poetry

Sunday 20 May 2012

यूँ इश्क-ओ-मोहब्बत की दुकान मत चला!..कुछ समझ मेरे जज़्बात गुमान मत चला!!
तू गर सही है तो सामना कर सवालों का!..गर गलत है तो चुपचाप रह ज़ुबां मत चला!!

आ बैठ करीब दो-चार बातें कर लें!... मुँह से फूल बिखेर कमान मत चला!!

कुछ गलतियाँ कर, माफ़ी माँग, इंसान बन!... तू खुदा नहीं है ज़मीन-ओ-आसमान मत चला!!

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