तालाब में उठी वो छोटी सी लहर
फैल जाती है जिस्म-ओ-जिगर पर
लेकिन,बहुत शांत!!!
देती है गहरी खोह,’अब’तलाशो खुद को।
समंदर की तरह न वो शोर मचाए
बरबस ही ध्यान,न कभी खीँच पाए
फिर भी जीवन से,पहचान करा जाए
वो छोटी सी लहर…
हर हाल में है शांत,न कोई कौतूहल
न इक नज़र मे,किसी को खींच पाए
दृढ़ निश्चय है जीवन,कोमलता से कह जाए
वो छोटी सी लहर…
हो कितना भी विशाल,गहरा समंदर
समेटे है लाखों,तूफान अपने अंदर
हर लहर है थपेड़ा,किसने ये जाना
जीवन है शांत,यूँ ही गुज़र जाना
फैल जाती है जिस्म-ओ-जिगर पर
लेकिन,बहुत शांत!!!
देती है गहरी खोह,’अब’तलाशो खुद को।
समंदर की तरह न वो शोर मचाए
बरबस ही ध्यान,न कभी खीँच पाए
फिर भी जीवन से,पहचान करा जाए
वो छोटी सी लहर…
हर हाल में है शांत,न कोई कौतूहल
न इक नज़र मे,किसी को खींच पाए
दृढ़ निश्चय है जीवन,कोमलता से कह जाए
वो छोटी सी लहर…
हो कितना भी विशाल,गहरा समंदर
समेटे है लाखों,तूफान अपने अंदर
हर लहर है थपेड़ा,किसने ये जाना
जीवन है शांत,यूँ ही गुज़र जाना
No comments:
Post a Comment