loving poetry

Saturday 19 May 2012

उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम
उसके ग़मो को हंसीं से सजा रहे थे हम
जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ
जिसकी लो को हवा से बचा रहे थे हम

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