loving poetry

Saturday 19 May 2012

दर्दे दिल दर्दे जिगर जारी रहे
सिलसिला ये उम्रभर जारी रहे
बागे दिल में गुल मुहब्बत के खिलें
और ये रक्से भंवर जारी रहे
काश ऐसा हो कि हम पर उम्रभर
रहमतों का ये असर जारी रहे
हसरतें उठती रहें मन में नयी
ज़िंदगानी का सफ़र जारी रहे
तुम हकीकत में मिलो या ख्वाब में
प्यार से मिलना मगर जारी रहे

No comments:

Post a Comment