माना कि इस हुस्न का, तुझे बड़ा गरूर है.
मगर हम भी बता क्या करें, इस दिल से मजबूर हैं.
माना कि बख़्शी है खुदा ने, तुझको ये दौलत.
मगर हम भी कदरदान, इसके बड़े, मशहूर हैं.
माना करती है दिल पे वार, तेरी नज़ाकत.
मगर हमारी नज़र न हो तो, सबकुछ बेनूर है.
माना कि अदाओ मे तेरी, है खंजरो सी धार.
मगर कत्ल हो मेरी वफ़ा, ये मुझे नामंज़ूर है.
माना कि बेड़िया है कुछ, रस्मो रिवायत की.
मगर खामोश आँखो की, शिकायत ज़रूर है.
माना परवाना मर मिटा, शमा के आगोश मे.
मगर शमा को इल्ज़ाम दो, इस दिल का क्या कसूर हैमाना बहक रहा हूँ, पाकर तेरी एक झलक.
मगर और कोई नशा नही, ये इश्क़ का सुरूर है.
माना फिरते हैं सैकड़ो, हथेली पर दिल लिए.
मगर हम सा न कोई आप सा, मेरे हुज़ूर है.
मगर हम भी बता क्या करें, इस दिल से मजबूर हैं.
माना कि बख़्शी है खुदा ने, तुझको ये दौलत.
मगर हम भी कदरदान, इसके बड़े, मशहूर हैं.
माना करती है दिल पे वार, तेरी नज़ाकत.
मगर हमारी नज़र न हो तो, सबकुछ बेनूर है.
माना कि अदाओ मे तेरी, है खंजरो सी धार.
मगर कत्ल हो मेरी वफ़ा, ये मुझे नामंज़ूर है.
माना कि बेड़िया है कुछ, रस्मो रिवायत की.
मगर खामोश आँखो की, शिकायत ज़रूर है.
माना परवाना मर मिटा, शमा के आगोश मे.
मगर शमा को इल्ज़ाम दो, इस दिल का क्या कसूर हैमाना बहक रहा हूँ, पाकर तेरी एक झलक.
मगर और कोई नशा नही, ये इश्क़ का सुरूर है.
माना फिरते हैं सैकड़ो, हथेली पर दिल लिए.
मगर हम सा न कोई आप सा, मेरे हुज़ूर है.
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