kavitaayan from loving indians Premi Kavi ki Kavitaayen
loving poetry
Friday 1 June 2012
मैं प्यार की भूखी हूँ
इस तलाश में जीना है मारना है|
जब तक मिट न जाऊँगी मैं
ज़िंदगी का हर पल मारना है|
सुना है वो प्यार से सिचे
तो पत्थर भी फूल बनजते है|
जो वो मरहम लगा दे तो
तो नासूर भी पनप न पाते है|
बिटिया बचावो. ...
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